“भारत से डर गया पाकिस्तान?” रूस से मांगी मदद

भारत के साथ बढ़ते तनाव के बीच पाकिस्तान ने रूस से मदद की गुहार लगाई है। पाकिस्तान चाहता है कि रूस भारत के साथ मध्यस्थता करे, जैसे 1966 में ताशकंद समझौते के दौरान किया गया था। यह मांग ऐसे समय आई है जब कश्मीर के पहलगाम में हुए आतंकी हमले के बाद दोनों देशों के बीच तनाव चरम पर है।

पाकिस्तान के रूस स्थित राजदूत मोहम्मद खालिद जमाली ने यह बयान मास्को में दिया और कहा कि रूस को अपनी ऐतिहासिक भूमिका निभानी चाहिए ताकि भारत-पाक संकट को शांतिपूर्वक हल किया जा सके।

पाकिस्तान की इस पहल को अंतरराष्ट्रीय मंच पर “कूटनीतिक दबाव की रणनीति” के रूप में देखा जा रहा है, जबकि भारत ने साफ कर दिया है कि वह किसी तीसरे पक्ष की मध्यस्थता को स्वीकार नहीं करेगा।

ये भी पढें: वैभव सूर्यवंशी पर पीएम मोदी की तारीफ: “बिहार का बेटा” कहकर बढ़ाया सम्मान

22 अप्रैल को जम्मू-कश्मीर के पहलगाम में हुए आतंकी हमले में 26 लोगों की जान गई थी। भारत ने हमले के लिए पाकिस्तान समर्थित आतंकियों को जिम्मेदार ठहराया। इसके बाद भारत ने जम्मू-कश्मीर में सिंधु जल परियोजनाओं पर तेजी से काम शुरू कर दिया है।

रूसी विदेश मंत्री सर्गेई लावरोव ने भारत और पाकिस्तान के विदेश मंत्रियों से बात की और दोनों से संयम बरतने का आग्रह किया। रूस ने यह भी स्पष्ट किया है कि वह तभी मध्यस्थता करेगा जब दोनों पक्ष इसके लिए सहमत होंगे।

ईरान के विदेश मंत्री अब्बास अराकची इस समय पाकिस्तान के दौरे पर हैं और जल्द ही भारत भी आएंगे। उन्होंने भी कहा है कि क्षेत्रीय शांति के लिए सकारात्मक संवाद की जरूरत है।

See also  सोने के दाम में भारी गिरावट, निवेशकों के लिए सुनहरा मौका

भारत का रुख बेहद स्पष्ट है — आतंकवाद के खिलाफ कार्रवाई के बिना किसी भी तरह की बातचीत संभव नहीं। भारत सरकार के अनुसार, पाकिस्तान पहले आतंकवाद पर कठोर कदम उठाए तभी किसी समाधान की दिशा में सोचा जा सकता है।

1966 में भारत-पाक युद्ध के बाद सोवियत संघ की मध्यस्थता में जो ताशकंद समझौता हुआ था, पाकिस्तान अब उसी तरह की शांति प्रक्रिया की अपेक्षा कर रहा है। मगर भारत अब पूरी तरह बदल चुका है और इस बार सिर्फ ‘कूटनीति’ नहीं, ‘परिणाम’ चाहता है।

Leave a Reply

Your email address will not be published. Required fields are marked *