भारत-पाकिस्तान हवाई क्षेत्र विवाद: किसको हुआ बड़ा नुकसान? [2025 की बड़ी भिड़ंत]

Illustration showing PIA and Air India planes flying in opposite directions with a 'No Aircraft' sign over India, symbolizing the 2025 airspace dispute between Pakistan and India."

पाकिस्तान और भारत के बीच बढ़ते तनाव ने अब आसमान की ऊंचाइयों को भी प्रभावित कर दिया है। हाल ही में भारत द्वारा पाकिस्तानी विमानों के लिए अपने हवाई क्षेत्र को बंद किए जाने के बाद पाकिस्तान ने भी जवाबी कार्रवाई करते हुए भारतीय विमानों के लिए अपना एयरस्पेस बंद कर दिया। इस कदम से दोनों देशों की एयरलाइनों, यात्रियों, कारोबार और अंतरराष्ट्रीय संबंधों पर बड़ा प्रभाव पड़ा है। यह विवाद पहलगाम आतंकी हमले के बाद भारत की तरफ से लिए गए कठोर फैसलों की एक कड़ी है, जिसमें सिंधु जल संधि पर पुनर्विचार, राजनयिक निष्कासन और अब हवाई मार्ग प्रतिबंध शामिल हैं।

इस हवाई क्षेत्र बंदी का सबसे बड़ा असर भारत और पाकिस्तान दोनों के नागरिक विमानन उद्योगों पर पड़ा है, लेकिन आंकड़ों के अनुसार इस फैसले से पाकिस्तान की एयरलाइनों को अधिक नुकसान हुआ है। पाकिस्तान इंटरनेशनल एयरलाइंस (PIA) जैसी कंपनियों को अपने विमानों को खाड़ी, मलेशिया और यूरोप भेजने के लिए लंबा रूट अपनाना पड़ रहा है, जिससे ईंधन लागत में 18% तक की वृद्धि हुई है। वहीं, भारत की एयर इंडिया और इंडिगो जैसी कंपनियों को भी पश्चिम एशिया और यूरोप की उड़ानों में 30 से 90 मिनट का अतिरिक्त समय लग रहा है, लेकिन उनकी उड़ानों की संख्या और रूट विकल्प अधिक होने के कारण इन पर असर तुलनात्मक रूप से कम है।

व्यापार और लॉजिस्टिक्स पर भी इसका असर गहरा है। पाकिस्तान से चीन, मिडिल ईस्ट और अफ्रीका जाने वाले मालवाहक विमानों को भी नया रूट तलाशना पड़ा है, जिससे माल ढुलाई महंगी और धीमी हो गई है। भारत के लॉजिस्टिक ऑपरेटरों ने पहले से ही अपने वैकल्पिक मार्ग बना रखे थे, जिससे उन्हें कम असुविधा हुई।

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इस विवाद का राजनीतिक पहलू भी उतना ही महत्वपूर्ण है। भारत ने यह फैसला पाकिस्तान की जमीन से आतंकी गतिविधियों को रोकने के दबाव के रूप में लिया है, जबकि पाकिस्तान इसे आक्रामक रणनीति करार दे रहा है। अंतरराष्ट्रीय मंचों पर भारत को अब तक अमेरिका, फ्रांस और जापान जैसे देशों का समर्थन मिला है, जबकि पाकिस्तान ने तुर्की और चीन से संपर्क बढ़ाया है।

विमानन विशेषज्ञों का मानना है कि यदि यह प्रतिबंध लंबे समय तक जारी रहता है तो पाकिस्तान को हर महीने लगभग 60-80 करोड़ रुपये का नुकसान हो सकता है, जबकि भारत को 30-40 करोड़ रुपये का। लेकिन रणनीतिक दृष्टिकोण से यह कदम भारत के लिए एक स्पष्ट संदेश देने का माध्यम बन रहा है।

इससे पहले भी 2019 में पुलवामा हमले के बाद भारत और पाकिस्तान के बीच ऐसा हवाई टकराव हुआ था, जिसमें पाकिस्तान को लगभग 350 करोड़ रुपये से अधिक का नुकसान झेलना पड़ा था। इस बार स्थिति उससे कहीं ज्यादा गंभीर मानी जा रही है क्योंकि इसमें सिर्फ एयरस्पेस ही नहीं, जल, राजनयिक और आर्थिक संबंध भी दांव पर हैं।

निष्कर्षतः भारत-पाकिस्तान के बीच चल रहे इस हवाई क्षेत्र विवाद में प्रत्यक्ष रूप से पाकिस्तान की अर्थव्यवस्था और कनेक्टिविटी को अधिक नुकसान हो रहा है, जबकि भारत अपनी रणनीतिक बढ़त और अंतरराष्ट्रीय सहयोग से स्थिति को संतुलित बनाए हुए है। अब देखना यह है कि यह टकराव कूटनीतिक वार्ता से शांत होता है या आने वाले दिनों में और बड़े फैसलों की ओर बढ़ता है।

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