पैरों में दर्द (Foot Pain) एक सामान्य समस्या है, जिसका सामना अलग-अलग उम्र के लोग करते हैं। इसमें पैर के किसी भी हिस्से – पंजे, एड़ी, आर्च (तलवे का चाप) या तलवे – में पीड़ा या असहजता महसूस हो सकती है। ज़्यादातर मामलों में ये दर्द हल्की वजहों से होता है और कुछ आराम या घरेलू देखभाल से ठीक हो जाता है। लेकिन कभी-कभी लगातार बना रहने वाला या बढ़ता दर्द किसी गंभीर चिकित्सकीय समस्या का संकेत भी हो सकता है। यदि पैर दर्द एक हफ्ते से ज़्यादा समय तक बना रहे या घर पर देखभाल के बावजूद ठीक न हो, तो डॉक्टर से संपर्क करना उचित है। आगे हम बताएंगे कि पैरों में दर्द के क्या कारण हो सकते हैं और इससे राहत व उपचार (इलाज) के लिए कौन-कौन से उपाय उपलब्ध हैं।
पैरों में दर्द क्या है?
पैर दर्द का मतलब पैर के किसी एक या एक से अधिक हिस्से में दर्द, खिंचाव या जकड़न होना है। हमारे पैर कुल 33 जोड़ और कई हड्डियों-मांसपेशियों से मिलकर बनते हैं, जो चलने-फिरने और शरीर का भार उठाने में महत्वपूर्ण भूमिका निभाते हैं। दिनभर चलने-खड़े रहने से पैरों पर दबाव पड़ता है, इसलिए थकान या हल्का दर्द होना आम बात है। दर्द की तीव्रता हल्की से लेकर तेज़ हो सकती है और यह कुछ समय के लिए भी हो सकता है या लगातार बना रह सकता है। अधिकांश मामूली पैर दर्द आराम करने से ठीक हो जाते हैं। लेकिन अगर दर्द बहुत ज्यादा है, अचानक शुरू हुआ है या लंबे समय तक बना रहता है, तो इसे नज़रअंदाज़ नहीं करना चाहिए। ऐसे मामलों में यह किसी अंदरूनी चोट या बीमारी का लक्षण हो सकता है और उचित जांच व इलाज की आवश्यकता होती है।
संक्षेप में, पैरों में दर्द एक लक्षण है न कि स्वयं रोग। इसका सफल इलाज करने के लिए सबसे पहले हमें इसके पीछे के कारण को समझना ज़रूरी है। नीचे पैरों में दर्द के सामान्य कारणों से लेकर गंभीर चिकित्सकीय कारणों तक की जानकारी दी गई है, जिसके आधार पर आप उचित उपचार का तरीका चुन सकते हैं।
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पैरों में दर्द के सामान्य कारण
अधिकतर मामलों में पैर दर्द जीवनशैली से जुड़े कारणों या हल्की शारीरिक समस्याओं की वजह से होता है। पैरों में दर्द के कुछ सामान्य कारण इस प्रकार हैं:
- गलत जूते या हाई हील्स: बहुत तंग, कठोर या ऊँची ऐड़ी (हाई हील) वाले जूते पहनने से पंजों और तलवों पर ज़रूरत से ज्यादा दबाव पड़ता है, जिससे दर्द होने लगता है। लंबे समय तक ऐसे जूते पहनने पर पैर के सामने के हिस्से में दर्द (फोरफुट पेन) और उंगलियों में विकृति (जैसे बुनियन) की समस्या भी हो सकती है। आरामदायक और सही साइज़ के जूते पहनना इस प्रकार के दर्द से बचने के लिए महत्वपूर्ण है।
- अत्यधिक चलना-फिरना या परिश्रम: लंबे समय तक खड़े रहना, पैदल चलना, भागदौड़ करना या नए व्यायाम शुरू करना पैरों की मांसपेशियों और लिगामेंट्स पर ज़ोर डाल सकता है। जॉगिंग या तेज़ एरोबिक्स जैसी गतिविधियों के दौरान पैर में खिंचाव या मामूली चोट लगने से भी दर्द हो सकता है। मांसपेशियों में थकान और सूक्ष्म आँसू (microtears) होने से पैरों में ऐंठन और दर्द महसूस होता है। पर्याप्त आराम और स्ट्रेचिंग न करने से यह दर्द बढ़ सकता है।
- चोट या मोच: हल्की मोच (Sprain), मांसपेशियों में खिंचाव या मामूली चोट लगना पैर दर्द का एक आम कारण है। अक्सर टेढ़े-बेढ़े रास्ते पर चलने या खेल-कूद के दौरान टखने मुड़ जाने से मोच आ जाती है, जिससे कई दिनों तक पैरों में दर्द और सूजन रह सकती है। ऐसी चोटें मामूली हों तो घरेलू उपायों से ठीक हो जाती हैं, लेकिन फ्रैक्चर (हड्डी टूटना) जैसी स्थिति में दर्द बेहद तेज़ होगा और तुरंत डॉक्टर को दिखाना चाहिए।
- शरीर में पोषक तत्वों की कमी: विटामिन D, विटामिन B_12 और मैग्नीशियम जैसी ज़रूरी पोषक तत्वों की कमी से हड्डियाँ कमजोर और मांसपेशियां संवेदनशील हो जाती हैं, जिससे पैरों में दर्द होने लगता है। उदाहरण के लिए, विटामिन D की कमी से कैल्शियम का अवशोषण घट जाता है और हड्डियों-मांसपेशियों में दर्द बढ़ सकता है। इसी तरह मैग्नीशियम की कमी से पैर में अकड़न या ऐंठन (leg cramps) की शिकायत हो सकती है। संतुलित आहार लेकर एवं आवश्यकता पड़ने पर सप्लीमेंट लेकर इन कमियों को दूर किया जा सकता है।
- वजन अधिक होना या गर्भावस्था: अधिक वज़न (मोटापा) होने से पैरों पर लगातार अतिरिक्त भार पड़ता है। इससे पैरों के जोड़ों और तलवों में दबाव बढ़कर दर्द की आशंका बढ़ जाती है। गर्भावस्था के दौरान भी शरीर का भार बढ़ने और हार्मोन परिवर्तन के कारण कई महिलाओं को पैरों और एड़ियों में दर्द व सूजन की शिकायत होती है। वजन नियंत्रित रखना और विश्राम करना ऐसे दर्द को कम करने में मदद करता है।
- उम्र और जोड़ संबंधी मामूली समस्याएं: उम्र बढ़ने के साथ जोड़ों का घिसाव (wear and tear) स्वाभाविक है। पैरों में स्थित छोटे-छोटे जोड़ समय के साथ कमजोर पड़ सकते हैं, जिससे चलने पर दर्द महसूस होता है। हल्का ऑस्टियोआर्थराइटिस (गठिया) भी एक सामान्य कारण है जो मध्यम आयु या बुज़ुर्गों में पैर और घुटनों में दर्द ला सकता है। हालाँकि सामान्य गठिया के मामले अक्सर हल्की दर्द-गर्माहट और मलहम से संभाले जा सकते हैं, फिर भी स्थिति बिगड़ने पर डॉक्टर से परामर्श लें।
- त्वचा व नाखून की समस्याएँ: पैरों पर बनने वाले कॉर्न्स या कॉलस (त्वचा का सख्त होना) लगातार घर्षण या दबाव के कारण होते हैं और दर्द पैदा कर सकते हैं। इसी तरह पैर के अंगूठे के पास हड्डी का उभरना (बुनियन) या उंगली का टेढ़ा होना (हैमर टो) जूते पहनने में तकलीफ़ और दर्द का कारण बन सकता है। पैर के नाखून का अंदर की तरफ बढ़ जाना (Ingrown Toenail) भी उंगली में सूजन और दर्द देगा। ये समस्याएँ आमतौर पर गलत जूते पहनने या पैर की उचित देखभाल न होने से होती हैं।
- हल्के संक्रमण या रोग: एथलीट फुट जैसे फंगल संक्रमण से पैरों में खुजली, जलन और दर्द हो सकता है। कभी-कभार बैक्टीरिया संक्रमण या फोड़ा होने पर भी प्रभावित हिस्से में दर्द और सूजन रहती है। यदि पैर की त्वचा में कटे-फटे ज़ख्म को साफ़ न रखा जाए तो संक्रमण बढ़कर दर्दनाक हो सकता है। ऐसे हल्के संक्रमण घरेलू उपचार या ऐंटिफंगल क्रीम आदि से ठीक हो सकते हैं, लेकिन गंभीर हालत में डॉक्टर की सलाह ज़रूरी है।
इन सामान्य कारणों से होने वाले दर्द को अक्सर हम घर पर ही आराम, सिकाई या ओवर-द-काउंटर दवाओं से प्रबंधित कर सकते हैं। अगले सेक्शन में हम बताएंगे कि कौन से घरेलू उपाय अपनाकर पैरों के दर्द में राहत पाई जा सकती है।
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गंभीर चिकित्सकीय कारण
कुछ मामलों में पैर का लगातार या तीव्र दर्द किसी गंभीर चिकित्सकीय समस्या की ओर इशारा करता है। ऐसे कारणों में आमतौर पर कोई भीतर का रोग या बड़ी चोट शामिल होती है, जिसका इलाज डॉक्टर की देखरेख में करना ज़रूरी है। पैरों में दर्द के कुछ गंभीर या विशेष चिकित्सकीय कारण हैं:
- गठिया के गंभीर प्रकार: सामान्य ऑस्टियोआर्थराइटिस के अलावा यदि आपको रूमेटॉइड आर्थराइटिस (एक ऑटोइम्यून रोग) या यूरिक एसिड से होने वाला गठिया (गाउट) है, तो पैरों के जोड़ अत्यधिक दर्दग्रस्त हो सकते हैं। गाउट में खासतौर से पैर के अंगूठे के जोड़ में सूजन, लालिमा और तेज़ दर्द के दौरे पड़ते हैं। यह यूरिक एसिड क्रिस्टल जमा होने से होता है और इसका इलाज दवाओं द्वारा करना पड़ता है। रूमेटॉइड आर्थराइटिस पूरे पैर के जोड़ों में सूजन-पेन पैदा कर सकता है और इससे जोड़ धीरे-धीरे क्षतिग्रस्त होते हैं, इसलिए इसका शीघ्र इलाज आवश्यक है।
- मधुमेह से जुड़ी समस्याएँ: डायबिटीज (मधुमेह) के रोगियों में पैरों में दर्द, सुन्नपन या झनझनाहट होना आम बात हो सकती है। उच्च शर्करा स्तर से समय के साथ पैरों की नसों को नुकसान (न्यूरोपैथी) होता है और परिधीय धमनियों में रुकावट आ सकती है, जिससे पैरों में रक्त संचार कम हो जाता है। इसका परिणाम पैरों में लगातार दर्द, जलन या कमज़ोरी के रूप में निकलता है। मधुमेह के कारण पैरों में छोटे-मोटे ज़ख्म या घाव भी आसानी से नहीं भरते और अल्सर बन सकते हैं। यदि मधुमेह के मरीज को पैरों में ऐसा दर्द हो तो यह गंभीर संकेत है और तुरंत चिकित्सकीय परामर्श लेना चाहिए। उपचार में शुगर नियंत्रण के साथ-साथ नसों/धमनियों के स्वास्थ्य को सुधारने पर ध्यान दिया जाता है।
- परिधीय धमनी रोग (PAD): पैरों की धमनियों में कोलेस्ट्रॉल इत्यादि के कारण अवरोध या संकुचन होने से Peripheral Artery Disease हो सकता है। PAD में चलने पर पिंडलियों या पैरों में ऐंठन जैसा दर्द (क्लॉडिकेशन) होता है जो आराम करने से ठीक हो जाता है। आगे चलकर गंभीर PAD में आराम की अवस्था में भी पैरों में तेज़ दर्द हो सकता है और पैर ठंडे पड़ सकते हैं। यदि पैरों में रक्त प्रवाह बहुत कम हो जाए तो त्वचा का रंग बदलना, बाल झड़ना, घाव का न भरना जैसी समस्याएँ दिखती हैं। PAD हृदय रोग का भी संकेतक है, इसलिए पैरों के ऐसे दर्द को अनदेखा नहीं करना चाहिए।
- प्लांटर फासाइटिस: एड़ी के नीचे और तलवे में तेज़ दर्द का एक आम कारण Plantar Fasciitis है। यह तलवे में पंजे से एड़ी तक जाने वाली लोचदार पट्टी (फैशिया) में सूजन के कारण होता है। सुबह सोकर उठने पर या लंबी बैठक के बाद कदम रखने पर एड़ी में चुभने जैसा दर्द प्लांटर फासाइटिस का लक्षण है। यह समस्या एथलीट्स, ज़्यादा दौड़ने वाले या अत्यधिक प्लेन-फुट (फ्लैट फुट) वालों को हो सकती है। इलाज में स्ट्रेचिंग, विशेष प्रकार के जूते/इंसोल, दर्द निवारक दवाएँ और कभी-कभी इंजेक्शन या सर्जरी की जरूरत पड़ सकती है।
- तंत्रिका संबंधी दर्द (न्यूरोपैथी): कुछ दर्द तंत्रिकाओं के दबने या क्षतिग्रस्त होने से होते हैं। कमर में नस दबने पर साइटिका दर्द नीचे पैर तक आ सकता है – ऐसी हालत में पीठ या कमर के अलावा पैर के पिछले हिस्से में भी तेज दर्द और झनझनाहट महसूस होती है। इसी प्रकार पैरों में मोर्टन न्यूरोमा नामक समस्या में पंजे के पास उंगलियों के बीच की नस मोटी होकर दर्द करती है। पैरों में लगातार जलन या बिजली के झटके जैसा दर्द हो तो नसों की जांच करवानी चाहिए। विटामिन B_12 की भारी कमी या शराब का दुरुपयोग भी परिधीय न्यूरोपैथी पैदा करके पैरों में दर्द का कारण बन सकते हैं।
- गंभीर चोट और हड्डी में समस्या: यदि पैरों में फ्रैक्चर (अस्थि टूटना) हुआ हो या लिगामेंट पूरी तरह फट गया हो, तो दर्द बेहद तेज़ होगा और बिना मेडिकल मदद के ठीक नहीं होगा। हड्डी टूटने पर पैर पर वजन डालना असंभव हो जाता है और सूजन-नीलापन आ जाता है। इसी तरह एड़ी की हड्डी का बढ़ना (हैगलंड डिफॉर्मिटी) या हड्डी में संक्रमण (Osteomyelitis) जैसी स्थितियाँ भी लगातार दर्द और चलने में दिक्कत पैदा करती हैं। ऐसी स्थिति में देरी किए बिना चिकित्सक को दिखाना चाहिए, क्योंकि कभी-कभी सर्जरी या एंटीबायोटिक द्वारा तुरंत इलाज करना पड़ सकता है।
उपरोक्त बताये गए गंभीर कारणों में पहचान और समय पर इलाज बेहद ज़रूरी है। यदि पैर दर्द का संदेह किसी गंभीर समस्या से हो, तो खुद से दवा लेने या घरेलू उपचार पर समय ज़ाया करने की बजाय डॉक्टर की सलाह तुरंत लें। डॉक्टर उचित परीक्षण (एक्स-रे, ब्लड टेस्ट आदि) करके कारण पता लगाएंगे और उसी के अनुसार इलाज (दवाएँ, फिजियोथेरेपी, इंजेक्शन या सर्जरी) शुरू करेंगे।
घरेलू उपाय
हल्के-फुल्के या सामान्य कारणों से होने वाले पैरों के दर्द को घर पर ही कुछ आसान घरेलू उपायों से ठीक या कम किया जा सकता है। शुरुआती राहत के लिए निम्नलिखित उपाय आज़माएं:
- आराम और पैर को ऊँचा रखें: अगर पैर दर्द हो रहा है तो सबसे पहले उसे भरपूर विश्राम दें। ज़्यादा चलने-फिरने से बचें और बैठते/सोते समय दर्द वाले पैर को दिल के स्तर से थोड़ा ऊँचा (उचित सहारे पर टिकाकर) रखें। इससे सूजन कम होगी और रक्त प्रवाह सुधरेगा।
- बर्फ से सेक (Cold Compress): दर्द या सूजन वाले हिस्से पर दिन में 2-3 बार बर्फ की सिकाई करें। 10-15 मिनट तक बर्फ के टुकड़े कपड़े में लपेटकर हल्के-हल्के सेंकने से सूजन और दर्द में आराम मिलता है। ध्यान रखें कि बर्फ सीधे त्वचा पर न लगाएं और प्रत्येक सेशन के बीच कम से कम 1 घंटा अंतराल रखें। ताज़ी चोट या सूजन में बर्फ बहुत लाभकारी है।
- गर्म पानी में सेंक (Foot Soak): यदि दर्द बहुत तेज़ नहीं है, तो गर्म पानी से सिकाई आराम पहुंचा सकती है। एक टब या बाल्टी में सहनीय गर्म पानी लें और उसमें थोड़ा नमक (एप्सम सॉल्ट या सेंधा नमक) मिला लें। अब दर्द वाले पैर को 10-15 मिनट तक इस पानी में डुबोकर रखें। इससे पैरों की मांसपेशियां रिलैक्स होती हैं, रक्त संचार बढ़ता है और दर्द कम महसूस होता है। वैकल्पिक तौर पर, आप गर्म पानी में तौलिया भिगोकर दर्द वाली जगह की गीली गर्म पट्टी से सिकाई भी कर सकते हैं।
- हल्की मालिश और स्ट्रेचिंग: पैरों के दर्द में मालिश (Massage) करना एक पुराना घरेलू नुस्खा है। नारियल, तिल या कोई भी हल्का गुनगुना तेल लेकर तलवों और पिंडलियों की हल्की मसाज करने से रक्तसंचार तेज़ होता है और आराम मिलता है। साथ ही, पैरों की स्ट्रेचिंग एक्सरसाइज करें – जैसे पंजों को ऊपर-नीचे हिलाना, एड़ी को दीवार के सहारे खींचकर पिंडली की स्ट्रेच, या पैर के अँगूठे से हवा में अल्फ़ाबेट लिखना आदि। ये स्ट्रेच और व्यायाम मांसपेशियों की जकड़न खोलने में मदद करते हैं और दोबारा दर्द होने की संभावना को घटाते हैं।
- दर्द-निवारक मरहम या दवा: अगर दर्द अधिक हो रहा है तो आप फार्मेसी पर मिलने वाली ओवर-द-काउंटर दर्द निवारक गोली (जैसे इबुप्रोफेन) ले सकते हैं या दर्द वाली जगह कोई एनाल्जेसिक क्रीम/स्प्रे लगा सकते हैं। ये दवाएं सूजन कम करके अस्थायी राहत देती हैं। ध्यान रखें कि लगातार दवा लेने के बजाय पहले आराम और सिकाई जैसे प्राकृतिक तरीकों को तरजीह दें। यदि डॉक्टर ने पहले से कोई दर्द की दवा या मलहम सुझाया है, तो निर्देशानुसार उसका उपयोग करें।
- उचित जूते और सपोर्ट का इस्तेमाल: पैरों में दर्द के दौरान ऐसे जूते पहनें जो नरम और कुशनयुक्त हों ताकि दर्द वाली जगह पर सीधा दबाव न पड़े। आप चाहें तो जूते में सॉफ्ट इंसोल या फुट पैड लगा सकते हैं, खासकर यदि दर्द किसी कॉर्न, गठान या एड़ी में हो। इससे चलने पर होने वाला घर्षण कम होगा और दर्द में आराम मिलेगा। ऊँची ऐड़ी या टाइट जूते इस समय बिल्कुल न पहनें।
इन घरेलू उपायों को अपनाकर अक्सर कुछ ही दिनों में आराम मिल जाता है। दिन में 2-3 बार बर्फ-गर्म पानी की सिकाई, रात में सोते समय हल्की मालिश और आरामदायक जूते पहनने जैसे उपाय मिलकर तेज़ी से दर्द घटाने में मदद करते हैं। अगर इनसे लाभ न दिखे या दर्द बढ़ रहा हो, तो मेडिकल अटेंशन लेने में देर न करें।
आयुर्वेदिक और प्राकृतिक इलाज
आयुर्वेद में वर्णित कई जड़ी-बूटियाँ और तेल ऐसे हैं जो जोड़ों व मांसपेशियों के दर्द में लाभकारी माने जाते हैं। पारंपरिक घरेलू देसी नुस्खे भी पीढ़ियों से पैर दर्द में राहत के लिए इस्तेमाल होते आए हैं। कुछ प्रमुख आयुर्वेदिक व प्राकृतिक उपचार इस प्रकार हैं:
- तेल से मालिश (ऑयल थेरेपी): आयुर्वेद में तेल मालिश (अभ्यंग) को जोड़ों के दर्द का प्रभावी इलाज माना गया है। पैर दर्द में आप अरंडी का तेल, तिल का तेल या महा नारायण तेल जैसी औषधीय तेलों से मालिश कर सकते हैं। अरंडी का तेल (कैस्टर ऑयल) विशेषकर पैरों के दर्द में काफ़ी फ़ायदेमंद माना जाता है। इसे थोड़ा गर्म करके दिन में दो बार प्रभावित स्थान पर हल्के हाथ से मालिश करें। महा नारायण तेल एक आयुर्वेदिक औषधीय तेल है जो जोड़ों और मांसपेशियों के दर्द में राहत देता है – इसे इस्तेमाल से पहले गुनगुना करने से असर बढ़ जाता है। इसके अलावा, लौंग के तेल की कुछ बूंदें नारियल तेल में मिलाकर मालिश करने से मांसपेशियों की ऐंठन के दर्द में तुरंत आराम मिल सकता है। यदि उपलब्ध हो तो सरसों के तेल में कुछ लहसुन की कलियाँ और अजवायन डालकर पकाएँ तथा उस तेल से मालिश करें – इस देसी नुस्खे में मौजूद गुण सुन्न पड़े रक्तसंचार को फिर चालू कर दर्द कम करते हैं।
- जड़ी-बूटियों का लेप: कई भारतीय जड़ी-बूटियाँ दर्द कम करने में मददगार हैं। हल्दी एक शक्तिशाली प्राकृतिक एंटीसेप्टिक और एंटी-इन्फ्लेमेटरी है। चोट लगने पर अक्सर हल्दी-दूध पिलाया जाता है, लेकिन हल्दी को बाहरी रूप से भी प्रयोग किया जा सकता है। हल्दी पाउडर को गरम नारियल तेल में मिलाकर पेस्ट बनाएं और इसे दर्द वाली जगह पर लगा कर कपड़े से हल्का बाँध लें। हल्दी में मौजूद करक्यूमिन सूजन व दर्द को कम करता है। इसी तरह आयुर्वेद में एक औषधि गुग्गुल (Commiphora mukul) का प्रयोग भी दर्द निवारण के लिए होता है। शुद्ध गुग्गुल को आग पर पिघलाकर जब वह गोंद जैसा बन जाए तब उसमें ज़रा सा कपूर मिलाकर यह मिश्रण दर्द वाले जोड़ों पर लगाएं और पट्टी बाँध लें – इससे सूजन व दर्द में राहत मिलती है। कुछ परंपरागत उपचारों में निर्गुंडी (Vitex negundo) के पत्तों का लेप भी शामिल है। निर्गुंडी के पत्तों को सरसों के तेल में पका कर दर्द वाली जगह बाँधने से दर्द तथा साइटिका के मारने में लाभ मिलता है। इसी प्रकार करेले के पत्तों का पेस्ट बनाकर लगाने से पैर के दर्द में जल्दी आराम आता है। ये सब प्राकृतिक लेप सूजन को कम करके आराम पहुंचाते हैं। ध्यान रहे कि लेप को बहुत देर तक खुला न रखें और संक्रमित त्वचा पर न लगाएं।
- आहार एवं आयुर्वेदिक दवाएँ: पैरों के लगातार दर्द में कुछ आयुर्वेदिक औषधियाँ और आहार सुधार भी लाभदायक हैं। योग गुरु स्वामी रामदेव के अनुसार चंद्रप्रभा वटी नामक आयुर्वेदिक टैबलेट दिन में 2-2 गोलियां सुबह-शाम लेने से पैरों के दर्द में फायदा होता है। साथ ही हल्दी, मेथी (Fenugreek) और सोंठ (सूखी अदरक) का समान मिश्रण बनाकर 2-2 ग्राम सुबह-शाम गुनगुने पानी से लेने से जोड़ों के दर्द में आराम मिलता है। अदरक को रोज़ाना भोजन में शामिल करना या अदरक की चाय पीना भी इसके दर्दनाशक गुणों के चलते लाभदायक है। हल्दी वाला दूध रात में पीने से और पर्याप्त ओमेगा-3 फैटी एसिड (अलसी के बीज, मछली तेल) लेने से शरीर की सूजन कम होती है, जिससे पैर सहित पूरे शरीर के दर्द में कमी आती है। आयुर्वेद में दर्द को वात दोष से जुड़ा माना जाता है, इसलिए वात को शांत रखने वाले आहार (जैसे गरम सूप, हल्दी, तुलसी) लेने और वात बढ़ाने वाले पदार्थ (जैसे ठंडी चीज़ें, अधिक वात वाली दालें) कम करने की सलाह दी जाती है। ध्यान रखें कि कोई भी आयुर्वेदिक दवा या सप्लीमेंट शुरू करने से पहले योग्य आयुर्वेदाचार्य या चिकित्सक की सलाह लें, खासकर अगर आप पहले से किसी बीमारी का इलाज करा रहे हैं।
इन आयुर्वेदिक और प्राकृतिक उपायों को नियमित रूप से आज़माने पर काफी लोगों को लाभ मिलता है। इनका बड़ा फायदा यह है कि इनके साइड इफ़ेक्ट नगण्य होते हैं और ये शरीर को समग्र रूप से स्वस्थ बनाने में भी मदद करते हैं। फिर भी, यदि दर्द बहुत ज्यादा हो या इनसे फायदा न दिखे, तो मेडिकल ट्रीटमेंट में देर न करें।
डॉक्टरी सलाह और कब डॉक्टर से मिलें
बहुत से लोग जिन्हें अक्सर पैर में दर्द रहता है, वे अनुभव से जान जाते हैं कि किस स्थिति में दर्द बढ़ता है और कैसे घरेलू उपायों से इसे संभाला जा सकता है। लेकिन कुछ परिस्थितियाँ ऐसी हैं जहाँ आपको बिना देरी डॉक्टर से मिलना चाहिए:
- अचानक तेज़ दर्द शुरू हो जाए: अगर चलते या किसी गतिविधि के दौरान पैरों में अचानक और तीव्र दर्द शुरू हो गया है और समय के साथ बढ़ता ही जा रहा है, तो यह गंभीर चोट या अंदरूनी समस्या का संकेत हो सकता है।
- हाल ही में लगी चोट के बाद दर्द: पैर या टखने में मोच आने, कहीं चोट लगने या दुर्घटना के बाद यदि दर्द हो रहा है और आराम करने पर भी कम नहीं हो रहा, तो तुरंत चिकित्सक को दिखाएं। खासकर यदि चोट के बाद पैरों पर वजन डालना मुश्किल हो रहा है या हिलाते समय असहनीय दर्द है, तो हड्डी टूटने की संभावना को排खार नहीं किया जा सकता।
- पैर पर वजन न डाल पाना: किसी भी कारण से, अगर दर्द के चलते आप प्रभावित पैर पर खड़े नहीं हो पा रहे हैं या थोड़ा भार देते ही बहुत दर्द हो रहा है, तो स्थिति का आकलन डॉक्टर द्वारा होना चाहिए।
- खुला घाव या संक्रमण का शक: जिस हिस्से में दर्द है वहाँ त्वचा पर कोई खुला घाव, फोड़ा या अल्सर दिख रहा हो, या कटाव दिखने लगा हो, तो डॉक्टर को दिखाना ज़रूरी है। विशेषकर मधुमेह के मरीजों में पैरों के छोटे घाव भी गंभीर रूप ले सकते हैं, इसलिए जोखिम नहीं लेना चाहिए।
- त्वचा का रंग बदलना या सूजन-बुखार: अगर दर्द वाली जगह की त्वचा असामान्य रूप से लाल, नीली या काली पड़ रही है या पैर में अचानक काफी सूजन आ गई है। साथ ही दर्द के साथ बुखार महसूस हो रहा है, तो ये संक्रमण या रक्तसंचार की समस्या के लक्षण हो सकते हैं। ऐसे में स्वयं एंटीबायोटिक लेने की बजाय डॉक्टर से जांच करवाएं।
- रक्त संचार की बीमारी मौजूद हो: अगर आपको पहले से कोई ऐसी चिकित्सकीय समस्या है जो पैरों में रक्त प्रवाह को प्रभावित करती है (जैसे Peripheral Artery Disease, डायबिटीज, डीप वेन थ्रॉम्बोसिस का इतिहास), और अब पैर में दर्द हो रहा है – तो इसे गंभीरता से लें और डॉक्टर से मिलें। पहले से मौजूद बीमारी के कारण सामान्य दर्द भी जटिल बन सकता है।
उपरोक्त स्थितियों के अलावा, जब भी पैर दर्द असामान्य लगे या आपको शक हो कि कारण साधारण नहीं है, तब मेडिकल सलाह लेने में देरी न करें। डॉक्टर शारीरिक परीक्षण के दौरान आपके चलने के तरीके, पैर की संरचना और दर्द के बिंदुओं की जांच करेंगे। ज़रूरत पड़ने पर एक्स-रे, एमआरआई या ब्लड टेस्ट करके सही कारण पहचानेंगे। कारण पता चलने पर वे उचित इलाज शुरू करेंगे – मसलन, इंफ़ेक्शन है तो एंटीबायोटिक, गठिया है तो सूजन कम करने की दवा, फ्रैक्चर है तो प्लास्टर या सर्जरी आदि। कई मामलों में दर्द का कारण दूर करने के लिए सहायक उपकरण भी दिए जाते हैं, जैसे खास जूते या इनसोल (ऑर्थोटिक), पैर को स्थिर रखने के लिए कास्ट/स्प्लिन्ट, या पेरो के व्यायाम के लिए फिजियोथेरेपी। याद रखें, उचित समय पर डॉक्टर की सलाह लेकर आप पैर की गंभीर जटिलताओं से बच सकते हैं और जल्द स्वस्थ हो सकते हैं।
निवारण के उपाय और जीवनशैली में बदलाव
पैरों में दर्द को पूरी तरह खत्म करना शायद संभव न हो, लेकिन कुछ निवारक उपाय अपनाकर इसके जोखिम को काफी हद तक कम किया जा सकता है। अपनी दिनचर्या और生活शैली में निम्न बदलाव लाकर आप भविष्य में होने वाले पैर दर्द से बचाव कर सकते हैं:
- सही जूते चुनें: हमेशा ऐसे जूते पहनें जो आरामदायक हों, आपके पैर के आकार के अनुरूप हों और जिनमें कुशन या मुलायम तलवा लगा हो। बहुत तंग, कठोर सोल वाले या ऊँची एड़ी के जूते रोज़मर्रा में पहनने से बचें। यदि आपको सपाट पैर (Flat feet) हैं या पिछले दर्द का इतिहास है तो डॉक्टर से परामर्श लेकर विशेष आर्क सपोर्ट वाले जूते या इनसोल का इस्तेमाल करें।
- ऊँची एड़ी व संकरे जूते सीमित करें: फैशन के लिए कभी-कभार हाई हील या पॉइंटेड-टो शूज़ पहनना ठीक है, लेकिन लम्बे समय तक ऐसे जूते पहनना पैरों के लिए नुकसानदेह साबित होता है। हाई हील्स पहनने से शरीर का भार असामान्य रूप से पैर के अगले हिस्से पर आता है और पंजों में दर्द, बुनियन, हैमर टो जैसी समस्याएं हो सकती हैं। इसलिए इन्हें पहनने की अवधि कम रखें और उतारते समय पैरों की स्ट्रेचिंग अवश्य करें।
- हेल्दी वज़न बनाए रखें: अपने शरीर का वजन स्वस्थ सीमा में रखना पैरों पर अनावश्यक दबाव पड़ने से रोकता है। संतुलित आहार और नियमित व्यायाम की मदद से वजन नियंत्रित रखें। इससे घुटनों और पैरों के जोड़ों पर दबाव कम होगा और गठिया जैसी समस्याओं का जोखिम भी घटेगा।
- व्यायाम से पहले स्ट्रेच करें: कोई भी कसरत या खेल गतिविधि शुरू करने से पहले पैरों और पिंडलियों की वार्म-अप स्ट्रेचिंग ज़रूर करें। ऐड़ी-पंजे, पिंडली की मांसपेशियां और जांघ की स्ट्रेचिंग करने से मांसपेशियां लचीली होती हैं और चोट लगने की संभावना कम हो जाती है। अचानक तेज़ दौड़ या व्यायाम करने से बचें; गतिविधि का स्तर धीरे-धीरे बढ़ाएं।
- पैरों की साफ-सफाई रखें: प्रतिदिन पैरों को धोकर अच्छी तरह सुखाएं, खासकर उँगलियों के बीच की जगह को। गंदे या नम पैर रखने से फंगल संक्रमण (एथलीट फुट) का खतरा होता है। नाखूनों को समय-समय पर सही तरीके से काटें ताकि वे अंदर की ओर न बढ़ें। अगर पैरों में कहीं कठोर त्वचा, कॉर्न या फटी एड़ी की समस्या है तो प्यूमिक स्टोन/फाइल से उन्हें हटाएं और मॉइस्चराइज़र लगाएं। स्वच्छता से पैरों में संक्रमण और दुर्गंध दोनों से बचाव होगा।
- बाहर सुरक्षा रखें: घर से बाहर निकलते समय नंगे पैर चलने से बचें। हमेशा उचित फुटवियर पहनें ताकि पैरों को चोट, कांटे, कांच के टुकड़े आदि से बचाया जा सके। खासकर समुद्र तट, बगीचे या सार्वजनिक जगहों पर नंगे पैर चलना जोखिमभरा हो सकता है, जो बाद में दर्द या संक्रमण का कारण बन सकता है।
- पुरानी बीमारियों को नियंत्रित रखें: यदि आपको मधुमेह, न्यूरोपैथी, या अन्य कोई पुरानी बीमारी है जो पैरों को प्रभावित कर सकती है, तो अपने डॉक्टर की सलाह अनुसार उस बीमारी को नियंत्रण में रखें। उदाहरण के लिए, मधुमेह के रोगी नियमित रूप से अपने पैरों की जांच करें (कहीं कट या छाला तो नहीं), ब्लड शुगर नियंत्रित रखें और हर चेकअप में अपने डॉक्टर को पैरों की स्थिति के बारे में बताएं। इसी तरह गठिया के मरीज अपने भोजन में एंटी-इन्फ्लेमेटरी चीजें शामिल करें और पैर के व्यायाम करते रहें। मूल बात यह है कि अपनी स्वास्थ्य स्थितियों को मैनेज करके आप पैरों को होने वाले द्वितीयक नुकसान से बचा सकते हैं।
इन जीवनशैली परिवर्तनों को अपनाने से पैरों के समग्र स्वास्थ्य में सुधार होगा और बार-बार होने वाले दर्द से राहत मिलेगी। याद रखें, बचाव इलाज से बेहतर है – इसलिए शुरू से ही पैरों का ध्यान रखें, तभी वे उम्रभर आपका भार सहजता से उठा पाएंगे।
अक्सर पूछे जाने वाले सवाल (FAQ)
प्रश्न 1: पैरों में दर्द के लिए सबसे अच्छे घरेलू उपाय क्या हैं?
उत्तर: हल्के पैर दर्द में आराम के लिए सबसे पहले पैर को आराम दें और उसे थोड़ी ऊँचाई पर रखें। दर्द या सूजन कम करने के लिए बर्फ से सिकाई करें और दिन में एक-दो बार गर्म पानी में नमक डालकर पैर डुबोएं। हल्की मालिश करें और पैरों की स्ट्रेचिंग एक्सरसाइज़ अपनाएं। जरूरत महसूस होने पर दर्द वाली जगह दर्दनाशक क्रीम लगाई जा सकती है या कोई OTC दर्द निवारक दवा ले सकते हैं। आरामदायक जूते पहनें ताकि चोट या घर्षण न हो। इन उपायों से अक्सर तुरंत राहत मिल जाती है।
प्रश्न 2: पैर दर्द में किस तेल से मालिश करनी चाहिए?
उत्तर: पैरों के दर्द में मालिश के लिए अरंडी का तेल (कैस्टर ऑयल) बहुत लाभकारी माना जाता है। इसे हल्का गर्म करके दर्द वाली जगह मलें। इसके अलावा तिल का तेल, जैतून का तेल या सरसों का तेल भी इस्तेमाल हो सकते हैं। आयुर्वेदिक दृष्टि से महानारायण तेल या निर्गुंडी तेल जैसे औषधीय तेल अधिक प्रभावी होते हैं। मालिश से पहले तेल को गुनगुना करने से इसके औषधीय तत्व त्वचा में अच्छी तरह अवशोषित होते हैं और मांसपेशियों को आराम मिलता है। मालिश हमेशा हल्के हाथों से, नीचे से ऊपर की ओर दिशा में करें ताकि रक्त प्रवाह सुधरे। यदि तेल उपलब्ध न हो तो दर्दनिवारक क्रीम/बाम को रगड़कर लगाने से भी अस्थायी आराम मिल सकता है।
प्रश्न 3: पैरों में दर्द से राहत पाने के लिए कौन से विटामिन या पोषक तत्व ज़रूरी हैं?
उत्तर: हड्डियों और मांसपेशियों को मज़बूत रखने के लिए विटामिन D का बहुत महत्व है। विटामिन D की कमी से हड्डियाँ कमजोर और दर्दयुक्त हो जाती हैं, इसलिए नियमित धूप लें या डॉक्टर की सलाह से सप्लीमेंट लें। विटामिन B_12 की कमी से नसों में कमजोरी और झनझनाहट हो सकती है, तो इसे संतुलित आहार (दूध, अंडे, मछली) से प्राप्त करें। कैल्शियम और मैग्नीशियम भी पैर दर्द से राहत में अहम हैं – कैल्शियम हड्डियों को मजबूती देता है और मैग्नीशियम की पर्याप्त मात्रा मांसपेशियों की ऐंठन को रोकने में मदद करती है। हरी सब्जियाँ, मेवे, बीज, दूध-दही इन पोषक तत्वों के अच्छे स्रोत हैं। इसके अलावा पोटैशियम (केले, नारियल पानी) और ओमेगा-3 फैटी एसिड (अलसी, मछली) जैसे पोषक तत्व सूजन कम कर दर्द में आराम दिला सकते हैं।
प्रश्न 4: कब पता चले कि पैर का दर्द गंभीर है और डॉक्टर को दिखाना चाहिए?
उत्तर: कुछ संकेतों पर आपको सतर्क हो जाना चाहिए: अगर पैर में दर्द बहुत तेज़ है या अचानक बढ़ रहा है, हाल में पैर में कोई चोट लगी थी और उसके बाद दर्द बना हुआ है, या दर्द के कारण आप पैर पर वजन नहीं डाल पा रहे हैं – तो ये गंभीर स्थिति के लक्षण हैं। दर्द वाली जगह अगर सूजन के साथ लाल/नीला रंग हो गया है, या वहाँ कोई घाव, मवाद आदि दिख रहा है, तो यह संक्रमण या भीतरू चोट का संकेत है। दर्द के साथ बुखार आना या पैर का सुन्न पड़ना भी ख़तरनाक संकेत हैं। ऐसी किसी भी स्थिति में घर पर इंतज़ार करने की बजाय तुरंत डॉक्टर के पास जाएं। डॉक्टर ज़रूरी जांच कर के बताएंगे कि दर्द का स्रोत क्या है और उसी आधार पर उपचार शुरू करेंगे।
प्रश्न 5: क्या आयुर्वेदिक और घरेलू नुस्खे वाकई पैरों के दर्द में कारगर हैं?
उत्तर: जी हाँ, सामान्य पैर दर्द में कई लोगों को घरेलू व आयुर्वेदिक उपायों से काफ़ी राहत मिलती है। आयुर्वेदिक तेल मालिश, हल्दी-नमक के गर्म पानी में पैरों को रखना, या हल्दी-अदरक जैसे एंटी-इन्फ्लेमेटरी मसालों का सेवन सूजन कम करके दर्द में आराम देते हैं। उदाहरण: हल्दी और नारियल तेल का लेप लगाने से कई लोगों को लाभ मिला है, और मेथी-सोंठ-हल्दी पाउडर खाने से जोड़ों के दर्द में आराम देखा गया है। हालांकि, ये उपाय मामूली से मध्यम दर्द के लिए ज्यादा प्रभावी हैं। अगर दर्द का कारण कोई गंभीर चिकित्सा समस्या है (जैसे फ्रैक्चर, गाउट, PAD आदि), तो केवल घरेलू नुस्खों पर निर्भर रहना पर्याप्त नहीं होगा। लेकिन एक सहयोगी उपचार के रूप में आयुर्वेदिक तरीके अवश्य फायदेमंद हैं और आधुनिक इलाज के साथ-साथ इन्हें अपनाया जा सकता है। हमेशा की तरह, अगर कोई नुस्खा आज़माने पर भी आराम नहीं मिलता या दर्द बढ़ता है, तो मेडिकल सलाह ज़रूर लें।
निष्कर्ष: पैरों में दर्द एक आम लेकिन परेशान करने वाली समस्या है। सही जानकारी होने पर आप इसके अधिकांश मामलों को घर पर ही संभाल सकते हैं। ऊपर बताए गए कारणों को जानने से आपको अपने पैर दर्द की जड़ समझने में मदद मिलेगी और उपयुक्त उपचार चुनने में आसानी होगी। हमेशा ध्यान रखें कि यदि दर्द असामान्य रूप से तीव्र है या कोई गंभीर लक्षण दिखे, तो स्वयं उपचार करने के बजाय समय पर डॉक्टरी सलाह लें। दैनिक जीवन में छोटे-छोटे निवारक उपाय अपनाकर और अपने पैरों की देखभाल कर के आप लंबे समय तक निरोगी रह सकते हैं। स्वस्थ पैर, स्वस्थ जीवन!
स्रोत: इस लेख में दिए गए सुझाव और जानकारियाँ विभिन्न विश्वसनीय स्रोतों से संकलित की गई हैं, जिनमें स्वास्थ्य संबंधी वेबसाइट, चिकित्सा विशेषज्ञों के ब्लॉग और आयुर्वेद साहित्य शामिल हैं। इनका उद्देश्य आपको सूचित करना है, फिर भी किसी भी चिकित्सा निर्णय से पहले पेशेवर चिकित्सक से परामर्श करना सर्वोत्तम होता है। सुरक्षित रहें और अपने पैरों का ख़याल रखें!
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