घटनाक्रम का सारांश
22 अप्रैल 2025 को जम्मू-कश्मीर की बैसरन घाटी (पहलगाम) में हुए आतंकी हमले में 28 लोगों की मौत हुई और 20 से अधिक लोग घायल हो गए। हमलावर सेना की वर्दी में थे और उन्होंने धर्म के आधार पर लोगों को निशाना बनाया। आतंकवादी संगठन “The Resistance Front (TRF)” ने इस हमले की जिम्मेदारी ली।
बैसरन घाटी क्यों बना निशाना?
बैसरन घाटी को ‘मिनी स्विट्जरलैंड’ कहा जाता है, और अप्रैल महीने में यह पर्यटकों से भरा होता है। ऐसे में आतंकियों को यह एक आसान और प्रभावशाली निशाना लगा। कश्मीर की छवि को धूमिल करने और भारत की शांति को चुनौती देने के लिए यह हमला किया गया।
TRF की भूमिका और पाकिस्तान का लिंक
TRF, पाकिस्तान समर्थित लश्कर-ए-तैयबा से जुड़ा संगठन है। इसका मकसद स्थानीय और बाहरी नागरिकों के बीच सांप्रदायिक तनाव पैदा करना है। हमले की योजना और कार्यशैली दर्शाती है कि इसमें पाकिस्तान की अप्रत्यक्ष भूमिका संभव है।
इंटेलिजेंस और सुरक्षा पर सवाल
आतंकियों को सेना की वर्दी कैसे मिली?
वे इतनी भारी मात्रा में हथियार लेकर घाटी तक कैसे पहुंचे?
क्या स्थानीय नेटवर्क सक्रिय है?
इन सवालों ने भारत की आंतरिक सुरक्षा और इंटेलिजेंस प्रणाली पर गंभीर सवाल खड़े किए हैं।
भारत की कड़ी कार्रवाई
प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने इस हमले की कड़ी निंदा की और राष्ट्रीय सुरक्षा सलाहकार व गृह मंत्रालय के साथ उच्चस्तरीय बैठक की।
पाकिस्तान के उच्चायुक्त को तलब किया गया
भारत-पाक जल संधि निलंबित
वीजा छूट रद्द
सीमा सुरक्षा कड़ी की गई
FATF में पाकिस्तान को ब्लैकलिस्ट करने की प्रक्रिया तेज
अंतरराष्ट्रीय प्रतिक्रिया
अमेरिका, फ्रांस, ब्रिटेन, जर्मनी व संयुक्त राष्ट्र ने हमले की निंदा की
पाकिस्तान पर अंतरराष्ट्रीय स्तर पर दबाव बढ़ा
भारत की कूटनीतिक रणनीति को समर्थन मिला
घाटी में तनाव और पर्यटकों में भय
हमले के बाद कश्मीर में सुरक्षा व्यवस्था कड़ी कर दी गई है। पर्यटकों की बुकिंग्स कैंसिल हो रही हैं, स्थानीय व्यापारियों को भारी नुकसान हो रहा है और आम जनता भय में जी रही है।
आगे की रणनीति
भारत सरकार अब घाटी में हाई-टेक सुरक्षा तंत्र स्थापित कर रही है:ड्रोन और AI आधारित निगरानी
CRPF की गश्त और CCTV नियंत्रण
यात्रा के लिए हेल्पलाइन और ट्रैवल इंश्योरेंस
निष्कर्ष
यह हमला केवल 28 लोगों की जान नहीं ले गया, बल्कि कश्मीर में स्थिरता और शांति के तानेबाने को भी तोड़ने की कोशिश की गई है। यह समय केवल प्रतिक्रिया देने का नहीं, निर्णायक क़दम उठाने का है — कूटनीति, इंटेलिजेंस और सेना, तीनों को एकजुट रणनीति बनानी होगी।
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